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१६ श्री शांतिनाथ-चरित
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हुआ चमरचंचा नामकी नगरीमें अशनिघोष नामका विद्याधरोंका प्रसिद्ध राजा हुआ। .
अर्ककीर्तिने अपनी पुत्री सुताराका ब्याह त्रिपृष्ठके पुत्र श्रीविजयके साथ किया और त्रिपृष्ठने अपनी कन्या ज्योतिःप्रभाका ब्याह अर्ककीर्तिके पुत्र अमिततेजके साथ कर दिया।
कुछ कालके बाद अर्ककीर्तिने अपने पुत्र अमिततेजको राज्य देकर दीक्षा ले ली।
त्रिपृष्ठका देहांत हो गया और उसके भाई अचल बलभद्रने त्रिपृष्ठके पुत्र श्रीविजयको राज्य देकर दीक्षा ले ली। ___ एक बार अमिततज अपनी बहिन सुतारा और बहनोई श्रीविजयसे मिलनेके लिए पोतनपुरमें गया । वहाँ जाकर उसने देखा कि सारे शहरमें आनंदोत्सव मनाया जा रहा है। __ अमिततेजने पूछा:-" अभी न तुम्हारे पुत्र जन्मा है, न वसंतोत्सवका समय है न कोई दूसरा खुशीका ही मौका है फिर सारे शहरमें यह उत्सव कैसा हो रहा है ?" ___ श्रीविजयने उत्तर दिया:-" दस रोज पहले यहाँ एक निमित्तज्ञानी आया था। उसने कहा था कि, आजके सातवें दिन पोतनपुरके राजापर बिजली गिरेगी। यह सुनकर मंत्रियोंकी सलाहसे मैंने सात दिनके लिए राज्य छोड़ दिया और राज्यासिंहासनपर एक यक्षकी मूर्तिको बिठा दिया। में आबिलका तप करने लगा । सातवें दिन बिजली गिरी और यक्षकी मूर्तिके टुकड़े हो गये । मेरी प्राणरक्षा हुई इसीलिए सारे शहरमें आनंद मनाया जा रहा है।"
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