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जैन रत्न (प्रथम खंड )
या
चौबीस तीर्थकर परिश्र
भूमिका लेखकजैनाचार्य श्रीविजयवल्लभ सूरिजी महाराजके प्रशिष्य रत्न मुनि श्रीचरणविजयजी महाराज
सन १९३५
लेखक–
श्रीयुत कृष्णलाल वर्मा
प्रकाशक
ग्रंथभंडार, लेडी हार्डिज रोड, माटुंगा ( बंबई )
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
मूल्य छः रुपये
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