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________________ १२५ ३ श्री संभवनाथ-चरित ~~~~~mmmmmmmmmmmm प्रभुके परिवारमें १०२ गणघर, दो लाख साधु, तीन लाख दो हजार एक सौ पचास चौदह पूर्व धारी, नौ हजार छ: सौ अवधि ज्ञानी, बारह हजार एक सौ पचास मनःपर्यवज्ञानी, पन्द्रह हजार केवलज्ञानी, उन्नीस हजार आठ सौ क्रियक लब्धिवाले, बारह हजार वादलब्धिवाले (वादी), दो लाख तरानवे हजार श्रावक और छः लाख छत्तीस हजार श्राविकाएँ थे । __ केवलज्ञान होनेके बाद चार पूर्वाग और चौदह वर्ष कम एक लाख पूर्व तक प्रभुने विहार किया था। फिर अपना मोक्ष काल समीप समझकर प्रभु परिवार सहित समेतशिखर पर्वतपर गये । वहाँ एक हजार मुनियोंके साथ उन्होंने पादोपगमन अनशन किया । इन्द्रादि देव आकर प्रभुकी सेवाभक्ति करने लगे। जब सर्वयोगके निरोधक शैलेशी नामके ध्यानको प्रभने समाप्त किया तब चैत्र शुक्ला पंचमीके दिन प्रभुका निर्वाण हुआ। उस समय चंद्रमा मृगशिर नक्षत्रमें आया था । एक हजार मुनि भी प्रभुके साथ ही उसी समय मोक्षमें गये । इन्द्रादि देवोंने केवलज्ञानकल्याणक किया। ____ कुमारावस्थामें पन्द्रह लाख पूर्व, राज्यमें चार पूर्वांग सहित चँवालीस लाख पूर्व, और दीक्षामें एक पूर्वांग कम एक लाख पूर्व, इस तरह सब मिला कर साठ लाख पूर्वकी आयु प्रभुने समाप्त की । उनका शरीर ४०० धनुष्य ऊँचा था। ___ अजितनाथ स्वामीके निर्वाणके तीस लाख कोटि सागरो.. पम समाप्त हुए तब संभवनाथ प्रभु मोक्षमें गये। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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