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________________ 24 वहाँ पर वर्षीय तप रक्खे हुए उसभसामी (ऋषभ देव) को बाहुबलि के पुत्र संज्जस कुमार (श्रेयान्स कुमार) ने जातिस्मरण ज्ञान और दान देने की विधि का ज्ञान होने पर अपने घर में आये हुए इक्षुरस से अक्षय तृतीया (बैसाख सुदि ३) के दिन प्रथम पारना कराया। वहाँ पर ५ दिव्य प्रकट हुए। मल्लि स्वामी (मल्ली नाय जी) का समवसरण भी इसी नगर में हुआ है। यहाँ विण्हुकुमार (विष्णु कुमार)नाम के महर्षि ने वैक्रीय शक्ति से लाख योजना परिमाण का शरीर बना कर उपर रखकर नमूची को शिक्षा दी । इस नगर में सणंकुमार (सनत कुमार)-महापउम (महापद्म)-सुभूम परशुराम उत्पन्न हुए। यहाँ पर उत्तम पुरुष चरम शरीर वाले ५ पांडव, दुर्योधन आदि अनेक महाबली पैदा हुए। ___सात क्रोड सुनयों का (मालिक) गंगदत्त सेठ और सौधर्म देवलोक में जानेवाला, दान करता हुआ वैराग्य धारण किये हुए १,००० पुरुषों के साथ अभिग्रहों को धारण करने वाले कार्तिक सेठ ने श्री मुनिसुत्रता स्वामी से दीक्षा ग्रहण की इस महागर में श्री शान्ति, कुंथु, अर और मल्ली नाथ जी के मनोहर चैत्य (मन्दिर) और अंबिका देवी का देवल था। ऐसे ही अनेक जीव जिनशासन को प्रभावना करनेवाले Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034866
Book TitleJain Pilgrimage
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastinapur Jain Shwetambar Tirth Committee
PublisherHastinapur Jain Shwetambar Tirth Committee
Publication Year1951
Total Pages60
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size11 MB
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