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पिता दत्त । माता बरुणदेवा ५ गृहवास ३६ वर्ष ६ विद्यार्थी ३०० तीनसौ ७ विद्या १५ । ७. इ. ग्यारमा प्रन्नास नामा १ गौत्र कौमिन्य २ जन्म राजगृह ३ पिता बल ४ माता अतिन्नश ५ गृहवास १६ वर्ष ६ विद्यार्थी ३०० सौ ७ विद्या १४ । ७. इस स्वरूप वाले ग्यारे मुख्य ब्राह्मण यज्ञ पामेमें थे तिनोके कानमें पूर्वोक्त शब्द सर्वज्ञकी महिमाका पमा, तब इंद्रनृति गौतम अनिमान सें सर्वज्ञका मान नंजन करने वास्ते जगवंतके पास आया। तिनकों देखके आश्चर्यवान् हुआ; तब लगवंतने कहा हे इंश्लूति गौतम तुं आया तब गौतम मनमें चिंतने लगा मेरे नाम लेनेसें तो मै सर्वज्ञ नही मानु, परं मेरे रिदय गत संशय दूर करे तो सर्वज्ञ मान. तब नगवंतने तिनके वेद पद और युक्तिसे संशय दूर करा. तब ५०० सौ गत्रा सहित गौतमजीने दीक्षा लीनी, ए बमा शिष्य हुआ. इसी तरे ग्यारेदीके मनके संशय दूर करे और सर्वने दीक्षा लीनी. सर्व ४१०० सौ ग्यारे अधिक शिष्य हुए. इग्यारोंके मनमें जीवहै के
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