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२३० नत्तम चंपकदि श्रावकोंकी तरें देतेहै, और कुत्कराज चंपकर्षसे तो जीर्ण सेहादिकी तरें बारमे जाति पाढ-अच्युत देवलोकके सुख देतेहै। इस लादि फूल तवास्ते बारांव्रत रूप श्राइ (श्रावक) रु विचित्र है, धर्म यत्नसे अंगीकार गृहस्थ लोकोने ये सर्व गिरि करना, और अधिक अधिक शुभनावनके वृकोसेवोंसें पालनां आराधनां चाहिये । सींचे, पाले ति चौथा धर्म नेद ॥ ४ ॥ हुए होनेसें अ धिक फल, प
त्र पुष्पवाले
है, सदा सरस बहु मोले फलादि देते है ॥४॥
एक धर्म दे इस वन समान चारित्र धर्मनी पु. वताके वनसलाक बकुश कुशील निर्मथ स्नातका मान साधु धदि विचित्र नेदमय है, विराधक श्राम है. देवता-वक साधुयोंका धर्म तोसरे मिथ्यात्व के वनमें देवधर्ममें ग्रह करनेसे इस धर्ममें अवि
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