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५ मी ॥ किहदिये प्रज. ॥ पंक्ति ६ बटो॥ तस्य प्र वरकस्यधीतु वर्णस्य गत्व कस्यम. युय मित्र [१] स........दत्तगा ॥ पंक्ति मी ॥ ये....वतोमह तीसरी पंक्तिसें लेके सातमी पंक्तिताईतो सुधारा हो सके तैसा है नही, और मैं तिनके सुधारनेको मेहनतत्नी नहीं करता हूं, क्योंके मेरे पास मुझको मदत करे तैसी तिसकी लीनी हु नक ल नहीं है, इतनोहो टीका करनी बस है के ही पंक्तिमें बेटीका शब्द धितु और तिस पीछेका म. युयसो बहुलतासे (माताका) मातुयेके बदले नू लसें बांचने में आया है, सो लेख यह बतलाता है, के यह अर्पणनी एक स्त्रीने करा या ॥ पंक्ति । ३॥ दूसरो तीसरीमें लिखे हुए नामवाले आचा ?के नामोकों यह बक्षीस साथका सबंध अंधेरेमें रहता है पिरले बार बिंञ्येको जगे दूसरा नमस्कार नमो नगवतो महावीरस्यको प्रायें रहो हर है, प्रथम पंक्तिमें सिइओ के बदले निश्चित शब्द प्रायें करके सिइं है, सर ए. कनिंगहामे आ बांचा हुआ अदर मेरी समझ मृजब विराम के साथें
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