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१३४ सलमेरमें ऐसे गुप्त नंमार पुस्तकोंके है कि वे किसी इंग्रेजनेनी नहीं देखे है, तो फेर पूर्वोक्त अ नुमान कैसे सत्य होवे.
प्र. १५६-जैनमतके पुस्तक जो जैनो रख ते है सो किप्तोको दिखाते नहीं है, इसका क्या कारण है ?
न-कारणतो हमकों यह मालुम होताहै कि मुसलमानोंको अमलदारोमें मुसलमानोने बहुत जैनमतोपरि जुल्म गुजारा श्रा, तिसमें सैं. कडो जैनमतके पुस्तकोंके नंमार बाल दीये थे,
और हजारो जैनमतके मंदिर तोमके मसजिदे बनवा दीनी थी. कुतब दिल्ली अजमेर जुनागढके किलेमें प्रनास पाटणमें रांदेर, नरूचमें इत्यादि बहुत स्थानोमें जैनमंदिर तोमके मसजिदो बनवाश हुश् खमी है, तिस दिनके मरे हुए जैनि कि सीकोनी अपने पुस्तक नही दिखाते है, और गुप्त नंमारोंमें बंध करके रख गेमेहै.
प्र. १४७-इस काल में जो जैनी अपने पु. स्तक किसीको नही दिखातेहै, यह काम अना
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