________________
१३५ और तप करने में कितनेक वर्ष व्यतीत करे इस लेखसें यह सिह होताहैकि जब गुरुयोंकों बोका निकम्मे जानके तो फेर तिनका कथन करा हुआ, नग्र ध्यान और तप निष्फल काहेको करा, इस सेंनी तप करता हुआ, जब मूळ खाके पमा तदा तकनी अज्ञानी था, ऐसा सिद्ध होता है १ पीने जब बुझने यह विचार कराके केवल तप करनैसें ज्ञान प्राप्त नही होताहै, परंतु मनके नधाम करनेसे प्राप्त करना चाहिये, पोडे तिसने खानेका निश्चय करा और तप गेमा २ जब ध्यान और तप करनेसें मन न नघमा तो क्या खानेस मन नघम शकताहै, इससे यहनी तिसकी समझ अ समंजस सिद्ध होती है, १ पीछे अजपाल वृक्षके हेठे पूर्व तर्फ बैठके इस्ने ऐसा निश्चय कराके जहां तक मैं बुद्ध न होवांगा तहां तक यह जगा न गेहुंगा, तिस रात्रिमें इसको श्वारोध करनेका मार्ग और पुनर्जन्मका कारण और पूर्व जन्मांतरोका ज्ञान नत्पन्न हुआ, और दूसरे दिनके सवे रेके समय इसका मन परिपूर्ण नघमा, और स
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com