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११ वसे जिस साधुनें आहार आणाहै, जहां तक सो साधु न जीमे तहां तक चाहो कितनेहो साधु तिस निकामेंसे आहार करे तोनी खूटे नही, तिसको अहीणमहानसिक लब्धि कहते है.
____पुलाय लही श्-जिसके प्रत्नावसे धर्मकी रदा करने वास्ते धर्मका षी चक्रवर्त्यादिकों सेना सहित चूर्म कर सके, तिसकों पुलाकल. ब्धि कहते है,
पूर्वोक्त येह लब्धियां पुन्यके और तपके और अंतःकरणके बहुत शुइ परिणामोके होनेसे होवेहे, ये सर्व लब्धियां प्रायें तीसरे चौथे आरेमेंही होतीयांहे, पंचम पारेकी शुरुआतमेंनी हो तीयां है.
प्र. १३४-श्री महावीरस्वामीकों ये पूर्वोक लब्धियां २० अगवीस थी?
न.-श्री महावीरजीकोंतो अनंतीयां लब्धि यां थी. येह पूर्वोक्ततो २७ अठावीस किस गिन तीमेंहै, सर्व तीर्थकराको अनंत लब्धियां होतीहै.
प्र. १३५-इंचूति गौतमकों ये सर्व ख
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