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रके रचाहै, और आठमाध्ययन श्री कपिल केवलीने रचाहै, और दशमाध्ययन जब गौतमस्वामी अष्टापदसे पीछे आएहै, तब नगवंतने गौतमको धीर्य देने वास्ते चंपानगरीमें कथन करा था, और २३ मा अध्ययन केशोगौतमके प्रभोत्तर रूप स्-ि अवरोने रचाहै. कितने अध्ययन प्रत्येकबुद्धि मुनियोके रचे हुएहै. और कितनेक जिन नाषित है. इस वास्ते उत्तराध्ययन दिवालीकी रात्रिमे कअन करासिइ नही होताहै.
प्र. ए५-निर्वाण शब्दका क्या अर्थ है ?
न.-सर्व कर्म जन्य नपाधि रूप अग्निका जो बुझ जाना तिसकों निर्वाण कहते है, अर्थात् सर्वोपाधिसे रहित केवल, श्रुझ, बुझ सच्चिदानंद रूप जो आत्माका स्वरूप प्रगट होना, तिसकों नि. वाण कहते है.
प्र. ए६-जीवको निर्वाण पद कद प्राप्त होताहै ?
न. जब शुन्नाशुन्न सर्व कर्म जीवके नष्ठ हो जातेहै तब जीवको निर्वाणपद प्राप्त होताहै.
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