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जैनधर्म की उदारता:
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लेखकपंडित परमेष्ठीदासजी जैन न्यायतीर्थ .
प्रकाशक
जौहरीमलजी जैनी सर्राफ
दरीबा कलाँ, देहली।
प्रथमवार) १०००)
_सन् १९३४ . वीर निर्वाण संवत् २४६० ।
मूल्य
गयादत्त प्रेस, वाग दिवार देहली में छपा।
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