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________________ उनकी स्त्रियां घर के अतिरिक्त बोहर का काम भी करती हैं। अब ज़माना बदल गया है । लेकिन जिस ज़माने में स्त्री पुरुषों का संघर्ष हुआ था उस ज़माने में जहाँ की स्त्रियाँ आर्थिक दृष्टि से पुरुषों की पूरी गुलाम बनीं वहाँ की स्त्रियों के बहुत से अधिकार छिन गये। उनमें पुनर्विवाह का अधि. कार मुख्य था; जहाँ स्त्रियाँ अपने पैरों पर खड़ी रहीं वहाँ यह अधिकार बचा रहा। प्रश्न (२४)—विधवा विवाह से इनके कौन कौन से अधिकार छिन गये हैं तथा कौन कौन सी हानियाँ हुई हैं ? उत्तर-विधवा विवाह से किसी के अधिकार नहीं छिनते । अधिकार छिनते हैं कमजोरी से और मूर्खता से । अफ्रिका, अमेरिका आदि में अनेक जगह भारतीयों के साथ अछूत कैसा व्यवहार किया जाता है। इसका कारण भार. तीयों की कमज़ोरी है । दक्षिण के उपाध्यायों में विधवा विवाह का रिवाज है, वे निर्माल्य भक्षण भी करते हैं । फिर भी उनके अधिकार सबसे ज्यादा हैं। इसका कारण है समाज की मुर्खता । उत्तर प्रान्त के दस्से अगर विधवा विवाह न करें तो भी उन्हें पूजा के अधिकार नहीं मिलेंगे, परन्तु दक्षिण के लोगों को सर्वाधिकार हैं। अधिकार छिनने के कारण तो दूसरे ही होते हैं । हाँ, धार्मिक दृष्टि से विधवा विवाह वालों का कोई अधिकार नहीं छिनता । स्वर्गों में भी विधवा विवाह है, फिर भी देव लोग नंदीश्वर में, समवशरण में तथा अन्य कृत्रिमाकृत्रिम चैत्यालयों में भगवान की पूजा बन्दना आदि करते हैं । विधवा विवाह, कुमारी विवाह के समान धर्मानुकूल है। यह बात हम पहिले सिद्ध कर चुके हैं । जब Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034860
Book TitleJain Dharm aur Vividh Vivah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSavyasachi
PublisherJain Bal Vidhva Sahayak Sabha
Publication Year1931
Total Pages64
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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