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(१० ) में स्पष्ट पाप नहीं कहना पड़े। ये लोग अपने छल-कपट के लिए प्रसिद्ध ही हैं। उनको दिन रात ऐसी बातें करने की शिक्षा मिलती रहती है कि जिससे वे दूसरों को अपने जाल में फंसालें, परन्तु स्वयं किसी बात की पकड़ में न आवें । कदाचित कोई उन्हें किसी बात में पकड़ लेगा, तो उस वक्त वे या तो यह बहाना लेंगे कि
(१) इस विषय के लिये शास्त्र में बहुत देखना पड़ेगा, बिना देखे क्या कहें।
(२) अाज तो अब समय हो गया है, इसलिए पूरा उत्तर नहीं दे सकते । क्योंकि इस बात का उत्तर बहुत लम्बा है।
साधारण भादमी से तो वे ऐसा कह कर पिण्ड छुड़ा लेते हैं, परन्तु वे देखते हैं कि यह आदमी हमारा पिण्ड छोड़ने वाला नहीं है तब वे उससे सदा के लिये अपना पीछा छुड़ा लेने को कह बैठते हैं कि आप तो हमारी पाशातना करते हैं। इसलिये हम आपसे बात नहीं करते।
ये ही तीन मार्ग किसी जानकार से अपना पीछा छुड़ाने के हैं।
संक्षेप में इन लोगों की स्थूल स्थूल मान्यताओं का दिगदर्शन कराया गया है। अब अगले प्रकरणों में इनकी मान्यताओं का उत्तर पक्ष करके विशद रूप से निराकरण करेंगे।
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