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________________ जनः बौद्ध तत्वज्ञान। उस समय सुंदरिक भारद्वाज ब्राह्मणने कहा, क्या आप गौतम वाहुका नदी चलेंगे। तब गौतमने कहा वाहुका नदी क्या करेगी। ब्रामणने कहा बाहुका नदी पवित्र है, बहुतसे लोग वाहुका नदीमें मपने किये पापोंको वहाते हैं । तब बुद्धने ब्राह्मणको कहा: बाहुका, अविकक, गया और सुन्दरिकामे । सरस्वती, मौर प्रयाग तथा बाहुमती नदीमें । कालेकोवाला मूढ़ चाहे कितना न्हाये, शुद्ध नहीं होगा। क्या करेगी सुन्दरिका, क्या प्रयाग और क्या बाहुबलिका नदी! पापकर्मी कतकिल्विष दुष्ट नरको नहीं शुद्ध कर सकते । शुद्ध के लिये सदा ही फल्गू है, शुद्धके लिये सदा ही उपोसन्य (व्रत) है। शुद्ध और शुचिकाके व्रत सदा ही पूरे होते रहते हैं। ब्राह्मण ! यहीं ठहर, सारे प्राणियों का क्षेमकर । यदि तू झूठ नहीं बोलता. यदि प्राण नहीं मारता। यदि विना दिया नहीं लेता, श्रद्धावान मत्सर रहित है। गया जाकर क्या करेगा, क्षुद्र जलाशय भी तेरे लिये गया है। नोट-जैसे इस सूत्रमें वस्त्रका दृष्टांत देकर चित्तकी मलीनताका निषेध किया है वैसे ही जैन सिद्धांतमें कहा है। श्री कुंदकुंदाचार्य समयसारमें कहते हैंवत्थस्स सेदभावो जह णासेदि मलविमेलणाच्छण्णो। मिच्छत्तमलोच्छण्णं तह सम्मत्तं खुणादध्वं ॥ १६४ ॥ वत्थरस सेदभावो नह णादि मलविमेळणाच्छण्णो। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034856
Book TitleJain Bauddh Tattvagyan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1940
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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