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आस्रवमाव । (१) मिथ्बादर्शन (२) मविरति हिंसादि
' संघरमाव । सम्यग्दर्शन ५व्रत-अहिंसा, सत्य, अचौर्य,
ब्रह्मचर्य, परिग्रह त्याग, या १२ मविरतिभाव, पांच इंद्रिय व मनको न रोकना तथा पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, वनस्पति
तथा त्रसकायका विराधा अपमाद वीतरागभाव
(३) प्रमाद (मसावधानी) (४) कषाय-क्रोध, मान, माया,
गेम। (५) योग-मन, वचन, कायकी
योगोंकी गुप्ति
क्रिया।
विशेष रूपसे संवरके भाव कहे हैं(१) गुप्ति-मन, वचन, कायको रोकना ।
(२) समिति पांच-(१) देखकर चलना। २) शुद्ध वाणी कहना । (३) शुद्ध भोजन करना । (४) देखकर रखना उठाना । (५) देखकर भलमूत्र करना ।
(३) धर्म दश-(१) उत्तम क्षमा, (२) उत्तम मार्दव (कोमलता), (३) उत्तम आर्जव (सरलता), (४) उत्तम सत्य, (५) उत्तम शौच (पवित्रता) (६) उत्तम संयम, (७) उत्तम तप, (८) उत्तम त्याग
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