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दूसरा भाग ।
होगा ? नहीं ? भिक्षुओ ! इस प्रकार देखते जानते क्या तुम ऐसा कहोगे । शस्ता हमारे गुरु हैं। शास्ता के गौरव ( के ख्याल ) से हम ऐसा करते हैं ? नहीं।
भिक्षुत्रो ! इस प्रकार देखते जानते क्या तुम ऐसा कहोगे कि भ्रमण हमें ऐन कडा, श्रम के कथन मे हम ऐसा कहते हैं ? नहीं। देखते जानते क्या तुम दूसरे शास्ता
!
अनुगामी हगे ? नहीं ।
ब्रह्मणो
भिक्षुआ ! इस प्रकार देखते जानते क्या तुम नाना श्रमण वर, कौतुक, मंगल सम्बन्धी क्रियाएं हैं उन्हें सारके सौम्य ग्रहण करोगे ? नहीं ।
क्या दिक्षुओ ! जो तुम्हारा अपना जाना है, मपना देखा है, माना अनुभव किया है उसीको तुम कहते हो ? हां भंते ।
साधु ! भिक्षुओ ! मैंने भिक्षुमो, समयान्तरमें नहीं तत्काल फलदायक यही दिखाई देनेवाले विज्ञद्वारा अपने आपने जाननेयोग्य इस धर्म के पास उपनीत किया ( पहुंचाया ) है ।
भिक्षुओ ! यह धर्म समयान्तर में नहीं तत्काल फलदायक है, इसका परिणाम यहीं दिखाई देनेवाला है या विज्ञोंद्वार। अपने आपमें जानने योग्य है । यह जो कहा है, वह इसी ( उक्त कारण ) से ही कहा है।
९ - भिक्षुओ ! तीनके एकत्रित होने से गर्भधारण होता है। माता और पिता एकत्र होते हैं । किन्तु माता ऋतुमती नहीं होती और गन्धर्व ( उत्पन्न होनेवाला ) चेतना प्रवाह देखो मसिधर्म कोश
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