________________
जैन बौद्ध तत्वज्ञान। . [१७५ सम्बुद्धका नाम है, (५) सुमेध यह शैक्ष्य भिक्षु ( जिसकी शिक्षाकी अभी आवश्यक्ता है ऐसा निर्वाण मार्गारूढ़ व्यक्ति) का नाम है, (६) शस्त्र यह आर्य प्रज्ञा ( उत्तम ज्ञान ) का नाम है, (७) अभीक्षण ( काटना ) यह वीर्यारंभ ( उद्योग) का नाम है, (८) लंगी भविद्याका नाम है । लंगीको फेंक सुमेध-अविद्याको छोड़, शस्त्रसे काट, प्रजासे काट यह अर्थ है, (१०) धुंधुमाना यह क्रोधकी परेशानीका नाम है, धुधुमानाके कदे-क्रोध मलको छोड़ दे, प्रज्ञा शस्त्रसे काट यह अर्थ है, (१०) दो रास्ते यह विचिकित्सा (संशय) का नाम है, दो रास्ते फेंक दे, संशय छोड़ दे, प्रज्ञासे काट दे, (११) चंगवार यह पांच नीवरणों ( भावरणों ) का नाम है जैसे-(१) कामछन्द ( भोगोंमें राग). (२) व्यापाद (परपीड़ा करण), (३) स्त्यानगृद्धि (कायिक मानसिक आलस्य, (४) औद्धत्य-कौकृत्य ( उच्छंखता और पश्चाताप ) (५) विचिकित्सा (संशय), चावार फेंक दे । इन पांच नीवरणोंको छोड़ दे, प्रज्ञासे काट दे, (१२) कूर्म यह पांच उपादान स्कंधोंका नाम है । जैसे कि
__ (१) रूप उपादान स्कंध, (२) वेदना उ०, (३) संज्ञा उ०, (४) संस्कार उ०, (५) विज्ञान उ०, इस कर्मको फेंकदे । प्रज्ञा अस्त्रसे इन पांचोंको काट दे। (१३) असिसूना-यह पांच कामगुणों (भोगों) का नाम है। जैसे (१) चक्षु द्वारा प्रिय विज्ञेय रूप, (२) श्रोत्र विजय प्रिय शब्द, (३) घ्राण विज्ञेय सुगन्ध, (४) जिहा विज्ञेय इष्ट रस, (५) काय विज्ञेय इष्ट स्पृष्टव्य । इस असिसनाको फेंक दे, प्रज्ञासे इन पांच कामगुणोंको काट दे। (१४) मांसपेशी
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com