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जैन बौद्ध तत्वज्ञान । यहां यह अर्थ है-गहरा महान जलाशय यह कामों (कामनाओं, मोगों) का नाम है। महान मृगसमूह यह प्राणियोंका नाम है। मनर्थाकांक्षी, महिताकांक्षी, अयोगक्षेमकांक्षी पुरुष यह मार (पापी कामदेव ) का नाम है। कुमार्ग यह आठ प्रकारके मिथ्या मार्ग हैं। जैसे-(१) मिथ्याष्टि, (२) मिथ्या संकल्प, (३) मिथ्या वचन, (१) मिथ्या कर्मान्त (कायिक कर्म ) (५) मिथ्या भाजीव (जीविक) (६) मिथ्या व्यायाम, (७) मिथ्या स्मृति, (८) मिथ्या समाधि । एकचर यह नन्दी-रागका नाम है, एक चारिका ( जाल ) अविथाका नाम है। भिक्षुषों ! मर्चाकांक्षी, हिताकांक्षी, योगक्षेमाकांक्षी, मह तथागत महत् सम्यक् संबुद्धका नाम है। क्षेम,स्वस्तिक, प्रीतिगमनीय मार्ग यह मार्य माष्टांगिक मार्गका नाम है। जैसे कि(१) सम्यकदृष्टि, (२) सम्यक् संकल्प, (३) सम्यक् वचन, () सम्यक् कर्मान्त, (५) सम्यक् आजीव, (६) सम्यक् व्यायाम, (७) सम्यक् स्मृति, (८) सम्यक समाधि । इस प्रकार मिक्षुमों। मैंने क्षेम, स्वस्तिक प्रीतिगमनीय मार्गको खोल दिया। दोनों ओरसे एक चारिका (मविद्या) को नाश कर दिया। मिक्षुओ! पावकोंके हितैषी, मनुकम्पक, शास्ताको अनुकम्पा करके जो करना था वह तुम्हारे लिये मैंने कर दिया । मिक्षुओ! यह वृक्ष मूल है, ये सूने घर है। ध्यानरत होमो। भिक्षुओ! प्रमाद मत करो, पीछे अफसोस करनेवाले मत बनना, यह तुम्हारे लिये हमारा अनुशासन है। नोट-यह सूत्र बहुत उपयोगी है, बहुत विचारने योग्य है।
दोहक वितर्क का नाम जैन सिद्धांतमें मेदविज्ञान है। कापवितर्क, न्यापादवितर्क, विहिंसावितर्क इन तीनों राग द्वेष
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