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________________ अन बौद्ध तत्वज्ञान । __ कामोंके हेतु चोर चोरी करते हैं, सेंध लगाते हैं, गांव उजाड़ डालते हैं, लोग परस्त्रीगमन भी करते हैं तब उन्हें राजा लोग पकडकर नानाप्रकार दंड देते हैं । यहांतक कि तलवारसे सिर कटवाते हैं । वे यहां मरणको प्राप्त होते हैं । मरण समान दुःख नहीं। यह भी कामोंका दुष्परिणाम है । कार्मोके हेतु-काय, वचन, मनसे दुश्चरित करते हैं। वे मरकर दुर्गतिमें, नरक में उत्पन्न होते हैं। भिक्षुमो-जन्मान्तरमें कामोंका दुष्परिणाम दुःस्वपुंज है। (२) क्या है कामोंका निस्सरण (निकास) भिक्षुओ ! कामोंसे रागका परित्याग करना कामोंका निस्सरण है। __ भिक्षुओ ! जो कोई श्रमण या ब्राह्मण कामोंके आस्वाद, कामोंके दुष्परिणाम तथा निस्सरणको यथाभूत नहीं जानते वे स्वयं कामोंको छोड़ेंगे व दूसरों को वैसी शिक्षा देंगे यह संभव नहीं । (३) क्या है भिक्षुमो ! रूपका आस्वाद ? जैसे कोई क्षत्रिय, ब्रामण, या वैश्य कन्या १५ या १६ वर्षकी, न लम्बी न ठिगनी, न मोटी न पतली, न काली परम सुन्दर हो वह अपनेको रूपवान मनुभव करती है। इसी तरह जो किसी शुभ शरीरको देखकर सुख या सोमनस्स उत्पन्न होता है यह है रूपका आस्वाद । (४) क्या है रूपका आदिनव या दुष्परिणाम-दूसरे समय उस रूपवान बहनको देखा जावे जब वह अस्सी या नव्वे वर्षकी हो, या १०० वर्षकी हो तो वह अति जीर्ण दिखाई देगी, लकड़ी लेकर चलती दिखेगी। यौवन चला गया है, दांत गिर गए हैं, बाल Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034856
Book TitleJain Bauddh Tattvagyan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1940
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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