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________________ - - असंभव हैकगकिचाउनवदशवें बर्षभीविवाहकरना निम्फल है कोकिसोलबर्यकेपश्चानचौबीसवेंचर्य पर्यन्त विवाहहोनेसे पुरुर्षकावीर्यपरिपक्वशरीरब लिएस्त्रीका गर्भाश्य पूराभोरशरीर भी बलयुक्त होने सेसन्तान उत्तमहोते हैं जैसेघाटबर्षकी कन्यामें सन्नानान्यनिकाहीना असंभव है ऐसेतीगौरीरोहणीं नाम देनाभी प्रयुक्त है यदिगोरी कन्यानहोकिन्नुका ली होनी उसकागोरी नाम रखना व्यर्थहै मोरगोरीम हादेवकीस्वीरोहसीवलदेवकीस्वीथी उसकोतुमपुरा शिलोगमावसमानमानने होअबकन्यामात्रमें गोरा भादिकीभावना करने दोनोफिर उनसे बिवाहकरना किसेसंभवचोरधर्मयुक्तहोसलाहै इमलियनुम्हारे और हमारे दोश्लोक मिथ्याहोंगेक्योंकिजैसे हमने वसोवाच करनेभोक बना लिया हैवैसेवेभीपरा शरमादिकेनाममेकालिये इसलिये इनसबकाप्न माणकोड़ने वेदोंजेप्रमाणसेमवकामकियाकरो दिग्बोमनमे क्या लिखाहै त्रीणिबर्याएयुदीक्षेनकमार्यनुमनीसनी उर्वनुकालादेनस्मादिदनमापनिम अर्थगकन्यारजस्वलाहुयेपीछनीनवयपर्यनपनीकीबो जकरके अपनेतुल्यपतीकोप्रान होवेजयप्रतिमाम Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034854
Book TitleJain Aur Bauddh ka Bhed
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHermann Jacobi, Raja Sivaprasad
PublisherNavalkishor Munshi
Publication Year1897
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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