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SET३मनत्मन
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| श्मबिश्वानिदेवसवितरिनानि
परा सुवायनासुवः॥
रोमान्निः शानि:शान्तिः। (देव) देसूर्यादिसर्व विद्या प्रकाशक (मविनः) हे सर्व जगदुत्पादकरना हमारे बिश्वानि) संपूर डरिनानि) दुःखाको(परासुब) नुमदूरकरो | नः) हमारे लिये यन् जो(भद्र) मुखहैं नन्न ने kधासुब) नुम प्राप्त करो हेपरमात्मन(आध्यात्मिक
ऐग,शोक शरीर पीड़ा आदिप्राधिभौनिक)श सिंह. सर्प आदिसे पराजय धौर पराम्नादियाधि दिविका अनि शीतोषा वर्षा आदि होना वान होना भारिजोये तीन प्रकारके वेश और संतापहैं उनकोनुम दूर करो। परमेश्वर की प्रार्थना म्नुनि के पीछे हम अपने देशीमा इयों की सेवा में निवेदन करने कि पाप कब तक
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