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जैन और बौद्ध का भेद ॥
अक्सर फ़रंगी विद्वान जैन और बौद्ध दोनों को आरम्भ ही से अलगर न समझ कर एक को दूसरे से निकला बतलाते हैं कोल्बूक ने गौतम बुद्ध को वर्द्धमान महावीर का चेला समझा क्योंकि महावीर का एक चेला इन्द्रभूति था कि जिस को गोतम स्वामी और निरा गौतम के नाम से भी पुकारते हैं प्रिंसिप और टामस इन दोनों की भी यही राय है लेकिन बेबर कहता है कि ऐसा नहीं होसक्का क्योंकि इन्द्रभूति ब्राह्मण था और गौतम बुद्ध क्षत्री उसका गोत्र गौतम होने से वह बुद्ध नहीं होसकता अगर इन्द्रभूति वर्द्धमान महावीर का मत छोड़कर दूसरा मत अंगीकार करता तो जैन सूत्र कभी उसको अच्छा न कहते उसकी पूरी बुराई लिखते क्योंकि सूत्र साफ़ कहते हैं कि महावीर के भानजे जमालिने मतमें पहला भेद डाला और महावीर के दूसरे चेले गोसाले मक्खलि पुत्र का भी ठट्ठा किया है यह ज़ाहिरा पाली सूत्र का मक्खलि गोसाला है कि जो बुद्ध के छः अनुमती आचार्यवादियों में से एक था ॥
विलसन जैनियों को बौद्धों की एक शाखा बतलाता है और उस को दसवींसदी में यहां बौद्धों के
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