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________________ (४८ ) मनोहर, सुन्दर और सायादार वृक्षों के नीचे जेत वन के बीचों बीच अनाथ पिण्डक ने एक विहार बनवाया । यहां पर बुद्ध २३ वर्ष रहे प्रसन्न जीत ने स्वयं नवीन धर्म में दीक्षित होने पर नगर के पूर्व को पोर एक व्याख्यान शाला बनवाई थो। ह्य नसङ्ग ने इस के सडहर देखे थे। इन के ऊपर एक स्तूप था । इस से थोड़ी दूर एक बुजं था। यह एक प्राचीन विहार के खंडहर के रूप में था। इस विहार को बुद्ध की मौसी प्रजापति गौतम ने बनवाया था। इस घटना से सिद्ध होता है कि बुद्ध के घर के लोग अधिक नहीं तो कुछ उनसे इस प्यारी जगह में श्रान मिले थे। उस जगह में जो बुद्ध को प्रानन्ददायक थी और जहां के निवासा उन्हें बहुत अधिक चाहते थे अपने चचेरे भाई अानन्द के बहुत कुछ कहने सुनने पर उन्होंने महाप्रजापति गौतमी को अपने धर्म में दीक्षित किया था। यही पहली स्त्री थी, जो पहले पहले बौद्ध हुई । दीक्षित करने के उपरान्त उसने गौतमी को पार्मिक जीवन विताने की प्राज्ञा देदी थी। श्रवस्ती से १८-१९ मील दक्षिस यू नसङ्गको वह स्थान भी बताया गया था, जहां १२ वर्ष के वियोग के बाद बुद्ध अपने पिता से मिले थे। शुद्धोदन को अपने पुत्र से बिछड़ने का महाक हुमा था, और उन्हों ने उन्हें पुनः जंजाल में घसीटने के निरन्तर प्रयत्न किये थे। एक के बाद दूसरा, दूसरे के बाद तीसरा इसतरह ८ दूत उन को गोज में भेजे थे परन्तु कैसे पाश्चर्य की बात है कि वे सब राजकुमार के मनोहर व्याख्यानों और चरित्र की श्रेहता पर ऐसे लुब्ध हुए कि फिर कभी न घिरे, वे लोग Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034854
Book TitleJain Aur Bauddh ka Bhed
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHermann Jacobi, Raja Sivaprasad
PublisherNavalkishor Munshi
Publication Year1897
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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