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भी न था और जो विचित्र बातें थीं उन सबों ने मिल कर राजकुमार के निश्चय को और भी बढ़ता हुमा बल दिया । इन से सिद्धार्थ की दृढ़ता और भी दृढ़ हो गई। ____ यह एक दिन बहुत से लोगों के साथ लुम्बिनी उपवन को रथ में बैठ कर नगर के पूर्वी फाटक से जा रहे थे। यह उपवन इन्हें जम्म ही से प्यारा था क्योंकि यहां पैदा हुए थे। इस जगह जो इन्होंने बाललीला की थी उस की सुधि से यह उपवन और भी अधिक प्यारा हो गया था।
रास्ते में इन्हें एक बुढा आदमी मिला। उसके बदन भर में झुर्रियां थीं और उसकी नसें और पुढे ढीली रस्सियों की तरह मालूम होते थे, दांत बिलकुल हिलते थे, कठिनाई से दो चार घर्राते और बिगड़ते शब्द बोल सकता था। ऐसा निर्बल था कि शक्तिहीन हाथ में लकड़ी का सहारा होने पर मी पग पग पर गिरा चाहता था
और उसकी झुकी कमर और सूखे अंग पत्ते की तरह हिल रहे थे।
राजकुमार अपने सारथी से बोले " यह भादमी कौन है इसका कद ठिगना, बल से हीन है, इस का मांस और रक्त सूख गया है, इसके पढे खाल के थैले में लटक रहे हैं, बाल सफेद हैं, दांत हिलते हैं, और शरीर निकम्मा हो गया , विचारा लकड़ी पर झुका हुमा बड़ी कठिनाइयों और क्रश के साथ पग पग पर गिरता पड़ता अपने को घसीटे लिये जा रहा है। पास के घराने ही को यह विशेषता या यह नियम सम्पूर्ण मनुष्यों के लिये है।"
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