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________________ भूमिका | बुह के जन्म के समय भारतवर्ष में वैदिक धर्म लुप्तप्राय है। गया था। शोर व ममागं की बड़ी प्रबलता हो रही घी । यों तो महाभारत के सर्वनाशी भीषण संग्राम के बाद ही से भारत का अधःपतन प्रारम्भ है। गया था परन्तु बुद्ध के ३ शताब्दी पहले ( विक्रम के के। ई एक हजार वर्ष पहले ) भारतवर्ष कं। श्रवस्था बड़ी शोचनीय है। गई थी । वाममार्ग मे भारत को हिंसा और दुराचार में ऐसा लिप्त किया, कि इसके उद्धारक। बहुत पड़ी अाशा रही । अधिकांश लोग वेद का नाम तक भूल गये थे । इसी दुस्समय में, मानो भारत के बचने के लिये, ईश्वर ने बुद्ध जन्म दिया । बुद्ध देव ने इन दुष्कर्मों को रोकने और हिंसारहित पवित्र जीवन व्यतीत करने का उपदेश दिया । महात्मा बुद्ध मे बड़े परिश्रम के साथ विद्याध्ययन और ज्ञान सम्पादन किया था। ये पूर्व विद्वान्, सर्वशास्त्रवेत्ता और संयमी पुरुष थे। इनका जीवन निस्पृह खोर निर्दोष था । ये मनुष्यमात्र के हितकारी सिद्धांतों का प्रचार करना चाहते थे । अतः इनको अपने उपदेशकार्य में बड़ी सफ लता प्राप्त हुई। बहुत सुगमता के साथ सम्पूर्ण भारतवर्ष में बहुमत का प्रचार हो गया । पीछे से बोद्धमत के प्रचारकोंने तिब्बत, नेपाल, तातार, मङ्गोलिया, जापान, चीन, अनाम, ब्रह्मदेश, सिंहलद्वीप ( लङ्का), स्थान, मलाया, कोरिया, मंडरिया, साइबेरिया का कुछ माग, बारुहीक ( प्राथमिक उत्तर अफ़ग़ानिस्तान, चित्राल और Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com •
SR No.034854
Book TitleJain Aur Bauddh ka Bhed
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHermann Jacobi, Raja Sivaprasad
PublisherNavalkishor Munshi
Publication Year1897
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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