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॥ वन्दे वीरम् श्री चारित्रम् ॥
ॐ
जगत्गुरु श्री विजय हीरसूरीश्वरजी की बड़ी पूजा
प्रथम जल पूजा -दोहा
जय जय सुमति जिणंदजी, जय सुपार्श्व जिनन्द | जय जय आदिश्वर प्रभो, जय जय पार्श्व जिनंद ॥ १ ॥
जय जय सूरि वाचक मुनि, जिन शासन शिणगार । जग गुरु हीर सूरीश्वरा, युगप्रधान अवतार ॥ २ ॥ जय चारित्र विजय गुरु, चरण में शीष नमाय । जग गुरु की पूजा रचूं, सबद्दी को सुखदाय ॥ ३ ॥
( ढाल १ )
(तर्ज- आवो आवो आदीश्वर बाबा, प्रहो इक्षु रस दान ) आवो आवो श्रो प्यारे सज्जन, करो गुरु गुण गान ॥ टेर ॥ महावीर के पाट परंपर, हुये श्री युग प्रधान । वचन सिद्ध और उग्र तपस्वी, जगद्चंद्र सूरि जाण ॥ आवो ॥ १ ॥
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