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आभार प्रदर्शन जगद्गुरु श्री हीरविजय सूरिजी की पूजा स्तवनादि संग्रह पुस्तक श्री संघ के हाथ में रखते हुए बहुत हर्ष होता है । इस में जो बड़ी पूजा है वह हमारी प्रार्थना से पू० पा० धर्म प्रचारक शासन दीपक मुनिमहाराज श्री दर्शनविजयजी महाराज ने बनाई है। श्राप त्रिपुटी का यह चातुर्मास जयपुर संघ की विनती से यहाँ ही हुवा है। यह हमारे संघ के लिये परम सौभाग्य का विषय है। आपके उपदेश से यहाँ अनेक धर्म कार्य हुये हैं और शासन प्रभावना अच्छी हुई है। जयपुर के इतिहास में सदा अमर रहने वाला बड़खेड़ा का छरीवालासंघ आपके उपदेश से श्रीयुत मांगीलालजी गोलेच्छाने निकाला था।
यह "बड़ी पूजा" यहां के सबसे प्राचीन श्री तपों के मन्दिरजी में विराजमान श्री जगद्गुरुजी की पादुका समक्ष चतुर्विध संघ द्वारा बड़े समारोह पूर्वक पढ़ाई गई थी।
गुरुदेव की बड़ी पूजा यहीं बनी और प्रथम यहीं पढ़ाईगई इसे यहां कासंघ परम सौभाग्य समझता है।
पू० पा० शास्त्र विशारद जैनाचार्य श्री विजयधर्मसूरिजी के उपदेश से आगरा श्री श्वे. जैन संघ द्वारा प्रकाशित जगत् गुरु श्री हीरविजयसूरिजी की अष्टप्रकारीपूजा और स्वतनादि पुस्तक छपी थी उसका हमने सब साहित्य उद्धृत किया है। इसलिये हम आप सबका आभार मानते हैं।
इस पुस्तक के संग्रह करने में त्रुटि या अशुद्धि रह गई हों पाठकगण इसके लिये मुझे कृपा कर सूचित करें कि द्वितीय आवृति में सुधार कर दिया जायगा।
रतनचन्द कोचर जयपुर
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