________________
( १४ ) सम्राट अकबर को प्रतिबोध देकर गुजरात की तरफ पधारे थे तब सम्राट के आग्रह से उनको प्रतिबोध देने के लिये शान्तिचन्द्रजी को सम्राट के पास रख कर गुजरात में पधारे । रास्ते में अनेक राजा महाराजाओं को प्रति बोध दिया शासन प्रभावना की, गुजरात में पधारने के बाद आपने उ. भानुचन्द्रजी और सिद्धिचन्दजी को सम्राट के पास भेजे थे।
और बाद में बादशाह अकबर का श्राग्रह पूर्वक निमन्त्रण पाने से वि.स.१६४९ में प्राचार्य श्री विजयसेनमुरिजी को मेजे थे। आपने भी बादशाह पर बहुत ही अच्छा प्रभाव जमाया था। सूरिजी गुजरात में विचरते हुये सौराष्ट्र में सिद्ध गिरी की यात्रा को पधारे वहां से वि० संवत् १६५२ का चातुरमास ऊना में कियाथा तब भादवा सुदी ११ गुरुवार को शुभ ध्यान करते हुऐ रात्रि को स्वर्गवास पधारे, सम्राट ने सूरि जी के स्मारक मन्दिर के लिये ८४ बीघा जमीन भेट दी, सूरिजी का विशेष जीवन जानने के लिये श्रीहीर सौभाग्य महाकाव्य, विजय प्रशस्ति महाकाव्य, हीर सूरिरास, जगद्गुरु काव्य, कृपारसकोश, विजय देव महात्म्य, पट्टावली समुच्चय, पाइने अकबरी, उपाध्याय भानुचन्द्र चरित्र, वैराट नगर मंदिर का शिला लेख, श्री शत्रुजय तीर्थ प्रशस्ति, मालपुरा का मंदिर का शिला लेख, सूरीश्वर और सम्राट जैन साहित्य नो संक्षिप्त इतिहास, वी. ए. स्मीथ का 'अकबर" सम्राट के फरमान श्रादि अनेक ग्रन्थ हैं जिज्ञासु सज्जन वहां से देखलें।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com