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बद्री
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उत्तराखण्डकी यात्रामें केवल इसी स्थानमें कुआं है । यहांसे आगे चमोली तक उतार ही उतारका रास्ता है । बीचमें दो माईल पर नारायण चट्टी आती है। इस चट्टीसे सामने देव प्रयागसे ही सीधी बद्रीकी सड़क गई है वह दिखलाई देती है । चमोली अलकनंदा के पुलको पार करके जाना होता है । पुलके इस पार एक छोटासा अस्पताल है ।
[१०] चमोली [ लाल साँगा ] यह चट्टी अलकमंदाके किनारे है। यहां बाबा काली कमलीवालेकी धर्मशाला और सदाव्रत है। यहांकी वस्ती बड़ी है । यहां डिप्टी कलक्टर की कचहरी, अस्पताल, डाक खाना, तारघर और पुलिस स्टेशन है । बद्रीनाथसे पुनः इसी रास्ते होकर आगे बढ़नेका है, इसलिये यात्रियोंको चाहिए कि वे अपना अधिक सामान यहां ठेकेदारके यहां रख आगे यात्राके लिये प्रयाण करे। यहांसे हाट चट्टी माईल ६ तक मार्ग सीधा हैं । इस ओरकी चट्टियें पिछली चट्टियोंसे बहुत ठीक है ।
११] हाट चट्टी - यहांसे पीपलचट्टी तक कुछ कड़ी चढ़ाईका अनुभव होता है ।
[१२] पीपल चट्टी - यहां बाबा काली कमलीवाले की धर्मशाला और सदाव्रत है। यहां ऊनी आसन, कम्बल, मृग चर्म, शिलाजीत और चमरी गायके चंवरकी अनेक दुकाने है । पहाड़की जड़ीबूटियां भी बिकती है। खाने
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