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हिमालय दिग्दर्शन
जायं | यहांसे आगे ०॥ मीलकी चढाईके बाद १ मीलका सीधा जैसा रास्ता हैं और बाद में ०॥ मीलकी कड़ी चढ़ाईके अन्त में पवाली तक उतार ही उतार है । मार्ग में रंग-बिरंगे फूलोंके मैदान दिलको प्रसन्न करते हैं ।
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(११) पवालीचट्टी- यह स्थान समुद्रकी सतह से १०,००० फीट ऊंचा हैं । यहां बाबा कालीकमलीवालेकी धर्मशाला, सदाव्रत और श्रौषधालय हैं। यहां प्रायः दिनमें १२ बजेके बाद बारिश होती हैं, जिसमें ओले गिरते हैं । यह शीत प्रधान स्थान हैं | यहांसे मग्गु आते समय चढाव - उतार दोनों बराबर कठिन हैं । जगह-जगह बरफमें भी चलना पड़ता हैं । यानी यह रास्ता बडा खतरनाक हैं । यहांसे आगे ६ माईल पर उतार में टेहरी रियासतकी हद पूरी होकर ब्रिटिश हद शुरू होती हैं ।
(१२) मग्गुचट्टी - यहां बाबा काली कमलीवालेकी धर्मशाला और सदावत हैं । यहां खाने-पीनेकी सभी चीजें अच्छी मिलती हैं । यह शीतप्रधान स्थान हैं। यहांसे त्रिजुगी नारायण जाते हुए उतार ही उतारवाला रास्ता हैं । बीच में जंगल अधिक पडता हैं, जिसमें अनेक प्रकारकी जड़ी-बूटियां हैं । सर्प की बूटियां ज्यादा नजर आती हैं मगर विशेष फायदा नहीं पहुंचाती | यहांसे ब्रिटिश हद शुरू हुई है ।
(१३) त्रिजुगी नारायण- यह हिन्दु धर्मका परम पवित्र तीर्थस्थान हैं। यहां त्रिजुमी नारायणकी असली मूर्ति के
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