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यमुनोत्री
(१६) भील्डयाना यहां बाबा काली कमलीवाले की धर्मशाला और सदावत है। स्थान अच्छा है। यहां डाकघर है। यहांसे धरासू तक मार्ग अच्छा है। यहांसे एक रास्ता मंसूरी गया है।
(१७) धरासू-यह स्थान गंगा किनारे बसा हाहै। यहां बाबाकाली कमलीवालेकी धर्मशाला और सदाव्रत है। यहांसे एक रास्ता गङ्गा किनारे २ सीधा उत्तर काशीको और दूसरा यमुनोत्रीको गया है। यहाँसे यमुनोत्रीके रास्ते पहिले पाव मोलको चढ़ाई और पौन मोल सीधा रास्ता है फिर आधा मीलका सीधा उतार है और बादमें सीधा रास्ता है। मार्गमें "कल्याणो" चट्टी तक पानीका कष्ट है।
(१८) सीलक्यारी चट्टी-यहां बाबा काली कमलीवालेकी धर्मशाला और पंजाब-सिंध क्षेत्रका सहावत है। स्थान अच्छा है। यहांसे ३॥ मीलको राडीकी चढ़ाई बहुत कठिन तय करनी होगी। यात्रियों को चाहिये कि वे प्रात: जल्दी उठकर रास्ता तय करे। चढ़ाई तय करनेपर वहां कोई स्थान नहीं है। यदि आकाश साफ होगा तो हिमालयके बरफवेष्टित पहाड दिखाई देंगे। आगे गङ्गनानो तक उतार ही उतारका रास्ता है, बीच में "डाल गांव" चट्टो और "सिमली" चट्टी पडेगी।
(१९) गंगनानी यह चट्टी यमुना किनारे है । यहां बाबा कालीकमलीपालेको धर्मशाला और सहाब्रत है।
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