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________________ सुरमें नरमें नहि तुल्य छबि, खुसि शेष महेश अंनि धुरमें / धुरमें पद पाय रीझाय हरि, धरी ब्रह्ममुनि मूर्ति उरमें // 8 // बतियां घनश्याम कहो हमसें, रहे आज पिया कुनके रतियां / रतियां दृग होय रहे मुखते, तुतलात हो बेन नई भतियां // भतियां पुनि हार उठे छतियां, गतियां कुन प्रापत आ गतियां / गतियां पग शिथिल होय रही, कहे ब्रह्ममुनि कुन सो बतियां // 20 // पियरा नहि जानत पीर सखि, मोय धीर धरात नहिं हियरा / हियरा बिन भेट भये अवतो, विधि कून कटे दुखके दियरा / / दियरा दिल द्योत नहि तबलं, जबलुं नहि ताप मिटे जियरा / / जियरा ब्रह्मानंद चाह जगी, रट एक लगी पियरा पियरा // 3 // रेनकी छंद. सरसर पर सधर, अमरतर अनुसर, करकर वरधर मेल करे। हरिहर सुर अवर, अछर अति मनहर, भरभर अति उर हरख भरे // निरखत नर प्रवर, प्रबर गण निरजर, निकर मुकुट शीर सबरनमे / पण खपट फरर, घरर पद घूघर, रंगभर सुंदर श्याम रमे जीयारंग // 1 // झटपट पट उलट, पलट नटवट झट, लटपट कट घट निपट लले / कोकट अति उकट, टक गति धिनकट, मन डर मतलट लपट मले। जमुनांतट प्रगट अमट अट रट जूट सुर थट खेखट तेण समे / घणरव पट फरर, घरर पद घूघर रंगभर सुंदर श्याम रमे // 3 // (रणछोडजी दिवान) કાઠિયાવાડમાં જૂનાગઢનું શ્રેષ્ઠત્વ સ્થાપી જૂનાગઢની જેર તલ્મી નાંખનાર વીર નાગર દિવાન અમરજીના પુત્ર રણછોડજી પણ દિવાન Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034838
Book TitleGujaratioe Hindi Sahityama Aapel Falo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDahyabhai Pitambardas Derasari
PublisherGujarat Varnacular Society Ahmedabad
Publication Year1937
Total Pages72
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size5 MB
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