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[ ८८] नवफुल पत्तन सारजी ॥२॥ तिहां नवहंस नामे छे नरवर ॥ विजया छे तस राणीजी ॥ चंद्र शेठ तिण पुर अधिकारी विनयवंत बहु प्राणीजी ॥३॥ नंदन त्रने तासनीरुपम ॥ रतन वडो वीवहारीजी॥ बीजो मदनपूरणसिंह बीजो जैनधर्म अधिकारीजी ॥४॥ लक्षमीवंत सुलक्षण सोभित ॥ तेजे रवि परतापीजो ।। दृढ कछ। मुख मीठा बोले । जस किर्ति जग व्यापीजी ॥ ५ ॥ विनय विवेक दान गुण पु. रण ।। राय दीये बहु मानजी ॥ वडो बंधव मुसदा विचक्षणा श्रावक रत्न प्रधानजी ॥ ६ ॥ रतन शेठ निघरणी पदमणी ॥ सिलवंती सुविचारजी । तेइनो सुत बालक बुद्धिवंतो || कोमल नामे कुमारजी ॥ ७ ॥ नेमिनाथ नोरवाण पधारा । वरस साहस हुआ आठजी रतन शेठ तिण अवसर हुओ ग्रंथे एवो पाठजी ॥ ८ ॥ अतीसयज्ञानी प्रोढ माहा. देव ॥ वन पोहोता रिषीराजजी । राजा रतन शेठ सवीवांदे सीधा वंछित काजजी ॥ ९॥
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