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[ २४ ] क्रमशः एक समय ऐसा भी आगया कि गुर्जर पति सिद्धराज के वो पूर्ण विश्वासपात्र मंत्री बन गये । सिद्धराजकी मृत्युके पीछे वह, कुमारपालके भी वैसे ही मानीते मंत्री बने रहे । कुमारपालका इनपर | वडा भरुसा था । बल्कि सिद्धराज जयसिंहकी तीव्र इच्छा इनके लडके चाहडको राज्य देनेकी होनेपर भी यह नर रत्न कुमारपालको राज्य दिलाने में और संकट ग्रस्त कुमारपालकी जान बचानेमें पूरे पूरे मददगार थे । सोरठ देशके समर राजासे लडने वास्ते फौज दे कर कुमारपालने इन्हे सौराष्ट्र भेजा था । उसे कथाशेष कर - और उसके लडकेको - उसकी गादीपर बैठाकर उदयन मंत्री पीछे लौट रहे थे कि - रास्ते मे उनकी तबीयत बहुत बिगड गई । अनेक उपाय करनेपर भी उन्हें कुछ आरामन हुआ । उन्होंने जब जाना कि मेरा यह अवसान समय है तब अश्रुपात कर रो पडे! पास के लोगोंने उनको अनेक तरह से आश्वासन दिया । तब वह बोले मैं मरनेके भय से नहीं रोता, मेरे निर्धारित चार काम शेष रह जाते हैं और मेरी जीवनदोरी समाप्त होती है !! परंतु इसमें किसीका भी उपाय नहीं ।
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