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घंटाकर्ण-कल्प
कोनों में जो भत्राक्षर हैं उनही से बनता है, और ऊपर नीचे चार मंत्राक्षर लिखे हैं, इस तरह से समझ कर इस यन्त्र को सिद्ध किया जाय तो लाभप्रद होगा।
यंत्र सातवां अष्टकमल दल वाला है, जिसमें स्तोत्र लिखकर ऊपर के भाग में "नमोस्तुते" लिखकर आगे ठः ठः ठः फट् स्वाहाः लिखा है यही मंत्राक्षर भी है,
और अष्टकमल दल में रक्षा स्थापना है, और गोलाकार में मंत्र लिखा है, इस मंत्र द्वारा सिद्ध किया जाय तर "देवदत्तस्य" के स्थान पर उसका नाम लियाजाय कि जिसके लिये यन्त्र बनाना है, और यन्त्र में भी उसीका नाम लिखना चाहिए।
यन्त्र पाठवां जिसमें घंटा का चित्र है और घंटा के मध्य में मंत्राक्षर महावीर के नाम सहित लिखे हैं, अतः इसी तरह का बनवा कर जिस कार्य को सिद्ध करने के लिए बनाया जा रहा है संक्षिप्त से वर्णन-नाम लिखना
और सिद्ध करना सो लाभ पहुँचाएगा। ____सारे यन्त्र अष्टगंध, पंचगंध, अथवा यक्ष कर्दम से लिखना चाहिए, इस बात का निश्चय यन्त्र लिखने वाला ही करले-जिस तरह का कार्य सिद्ध करना हो वैसा ही सुरभिगंध यन्त्र लिखने में होना चाहिए।
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