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घटाकर्ण-कल्प
कर्ण स्तोत्र को वेष्टित रूप में लिखना, इस तरह भोज पत्र
आदि पर अष्टगन्ध से लिख कर साध्य करने के लिए बादाम की गिरी, खारक और दाख लेकर घृत शक्कर मिश्रित कर हवन करना और सिद्ध करने के बाद यंत्र को अपने पास रखना जिससे राजभय देवभय मिट कर यश वृद्धि होगी, सुख सम्पत्ति और लन्मी की प्राप्ति होगी इस तरह के यंत्र को कल्पवृक्ष के समान बताया गया है।
॥ लक्ष्मी प्राप्त्यर्थ यंत्र दूसरा ॥ मंत्र का जाप तो पहले बताया है उसी तरह करे और षटकोण यंत्र अष्ट गंध से लिखे, के कोने में छे अक्षर इस प्रकार लिखना, "ऊँ हाँ ह्रीं हूँ ह्रौं नमः" लिख कर चोकोर घंटाकर्ण स्तोत्र लिखना, विधि सहित तैयारी करके साधक पुरुष को सिद्ध कराना, क्रिया करते समय पूर्व दिशा की तरफ मुँह करके बैठना, सफेद वस्त्र पहिनना अासन व माला भी श्वेत होनी चाहिये, साधन करने के दिनों में ब्रह्मचर्य पालन करे ओर सवा लाख जाप बहत्तर दिन में सम्पूर्ण कर लेवे, हो सके तो दूध के आधार पर रहे और शक्ति न हो तो नित्य एकासना किया करे जिसमें श्वेत वस्तु विशेष काम में लेये, जाप करते समय धूप दीप अवश्य रखना, उत्तर क्रिया में बादाम की गिरी, दाख, चारोली
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