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घंटाकर्ण-कल्प
जैन समाज में भक्तामर स्तोत्र की रचना कर विशेषता बताई और प्रत्येक श्लोक का एक एक मन्त्र बना कर जन हित के हेतु कल्प बना कर कार्य सिद्धि का एक मुख्य अंग बना दिया, इसी तरह से इस समय जिन जिन मन्त्र स्तोत्र के कल्प देखने में आये हैं उनका संक्षिप्त वर्णन करना प्रसंगोचित है।
१. प्रथम नवकर महामंत्र के चार कल्प बने हुए
हैं, जिसमें से बृहद् कल्प हमारी ओर से संपादित हो प्रकाश में आया है जिसकी चार आवृत्ति छप चुकी हैं। उवसग्गहर कल्प, विशेष प्रभावशाली है जिसमें कई तरह के यन्त्र भी हैं और यह स्तोत्र पांच गाथा, तेरह गाथा, इक्कीस गाथा का देखने में आया है जिसका पाराधन कर अनुभव किया
गया तो विशेष चमत्कारी सिद्ध हुवा। ३. लघु शांति कला इसमें भी विशेष महत्वता
बताई है। ४. बृहद् शांति मंत्र कन्प यह गृहस्थोपयोगी
मंगलमय कल्प है।
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