________________
१३२
२१ पांचमी ढाळमां धर्मास्तिकाय द्रव्यनी व्याख्या करी छे २२. छटो ढाळमां अधर्मास्तिकाय आदि त्रण द्रव्यनी व्याख्या करी छे. १५४ २३ सातमी ढाळमां पुद्गलास्तिकाय द्रव्य गवेख्यो छे २४ आठमी ढाळमां पुद्गलनी आठ वर्गणानी एक एकयी अधिक
सूक्ष्मता गवेखी छे २५ नवमी ढाळमा पुद्गलना गुणपर्याय गवेख्या छे २६ दशमी ढाळमा आवना चार हेतु मिथ्यात्वादि गवेख्या छे . १४० २७ अगीमारमी ढाळमां मिथ्यात्वनी दुष्टता विस्तारीने कही छे १४२ २८ बारमी ढाळमां अवतना भेद तेने टाळबानुं साधन दर्शाव्यु छे १४४ २९ तेरमी ढाळमां कषायनी तथा नोकषायनी द्रष्टांत साये गवेषणा करीछे १४५ ३० चौदमी ढाळमा जोगना मूळ त्रण भेद अने उत्तर पंदर भेद दर्शाव्या छे १४६ ३१. पंदरमी ढाळमां चार प्रकारना बंधनो विचार गवेख्यो छे १४८ १२ सोळमी ढाळमां पुन्यना बेतालीस भेद सारी रीते वर्णव्या छे . १५० ३३ सत्तरमी ढाळमां चउघाती पापकर्मनी प्रकृतिओना ४५भेद वर्णव्या छे १५५ ३४ अढारमीदान्मांचउअघातिकर्मनीअशुभ प्रकृतिओना३७भेद वर्णव्याछे १५८
आ ग्रंथ अहींथी अधुरो छे. ३५ त्रीजो ग्रंथ श्रद्धाप्रकरण तेमां देवतत्त्व तथा गुरुतत्त्व अने धर्मत-त्व ते श्रुतधर्म तथा चारित्रधर्म देसविरती अने सरवविरती श्रादे वर्णव्या .
१६३
१८७
२०३. .
३६ नव पदजीनी पूजा ३७ आरति मंगळदीवो ३८ अध्यात्म चोवीसी ३९ चैत्यवंदन अधिकार ४. स्तुति अधिकार ४१ स्तवन अधिकार ४२ सजाय अधिकार ४३ गुरुभक्तिनो रास
२०४ २२८ २३३
२३६
२९१
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com