________________
१ आशा तो अधुरी सदा तृष्णा गरे न कदा,
श्रा नव परनवनी न छूटे नंत कालमै. ॥२॥ १ कुदेव तेही देव माने कुगुरुने गुरु माने,
कुधर्म धर्म माने खोकिक मिथ्या नाव है. देवने आशाए माने आशाए सेवे गुरुने, धर्मनुं फळ मागे लोकोत्तर मिथ्यात्व है; शुनाशुन करणीनो अकृता निक्ष, ईश्वरने कर्ता कदे ऽव्य मिथ्यात नाव दै. रागने देष बेहु, परिणति अशुभ कहुँ, अनादि विकार एदी, नावथी मिथ्यात्व है. ॥३॥ है मिथ्यात्व गणामां बांधे, मिथ्यात दूजे न बांधे, कोमा कोमी सीतेर, सागर स्थिती कही है, मिथ्यात्व नदेमां आवे, गण सातमु कदावे, उपर नदे न होवे, समकित सही है; मिथ्यात्व सत्ताए रेवे, एकादश गणे केवे, सत्ता खुटे बारमें अमरं पद सही है; जनम मरण टळे अरिहंत गणे चले, अनंत चतुषयी मले सि६ दूर नाहि है. ॥४॥
यहां कहेवानुं एटलं जे के आत्म प्रदेशे मिथ्यात्व Q मोहनीनी त्रण कर्म प्रकृतिनो अन्नाव थतां दायक सम
dog gsroorg
mardarnGramGenera GORAGARAGNIGADGIRLS
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com