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सआय मधि२. & मोक्ष अनिलाषीयो, करम रहित चेतन परखुरे ॥ चेतन है
॥३॥ त्रीजु लक्षण निर्वेद सहे, चगति बंधीखानु नारी रे ॥ अनुत्तर सुख फेर सरी, ग्रहुं अतिइंद्रि बंसु इंजिरे ॥ चेतन० ॥ ४ ॥ अनुकंपा लक्षण चो) चिंतवे, निजपरमां अव्य नावरे॥ परअनुकंपा दोय नेदथी, समजी 6
करूणा लाव रे ॥ चेतन० ॥ ५॥ परदुःख दे निज है शक्तियें, परप्राण रखोरे ॥ त्रस थावर नही दुनवे, ते 6
अव्य अनुकंपा रोपुरे ॥ चेतन० ॥ ६ ॥ लावधी उपदेश धर्म कथा, नेद ज्ञाने देखामे रे ॥ जीव पुद्गलनी निन्नता, वस्तु सत्ता जूदी पामे रे ॥ चेतन ॥ ७॥ गुण पर्याय
समजावीए, ज्ञान चेतना दीजे रे ॥ तेथी अनुन्नव पोते करे, र निर्धार थयां दील रीफे रे ॥ चेतन ॥ ७ ॥ श्रद्धा शुद्ध
वस्तु जिन्नता, अनुन्नवे निज उपयोगे रे ॥ समकित प्रगट १ करे प्राणीन, ते नाव अनुकंपा पर जोगेरे ॥ चेतनः ॥
॥ ए॥ स्व जोगे हवे नाखशुं, देश विरति सर्व विरति लेवे रे ॥ विषय कषायने परहरे, ते अव्य अनुकंपा सेवेरे ॥ चेतनः ॥ १० ॥ रागद्वेष वळी मोहने, ढमी स्वन्नावमां
आवे रे ॥ शक्ति नाव व्यक्ति पणुं लहे, ते नाव अनुकंपा १ निज थावे रे ॥ चेतन० ॥ ११ ॥ आस्ता लक्षण ग्रहो पांचमुं, करो जिन वचन प्रमाणो रे ॥ जैन नाव समन्नावमां, देख चेतन राणोरे ॥ चेतनः ॥ १५ ॥ श्म पांच लक्षण लाधे श्रापमां, ते जाणो समकित रे ॥ ज्ञान शीतळ कीयां संपजे, ते चेतन जन्म पवित रे ॥ चेतन ॥ १३ ॥ andresources
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