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________________ तवन अधि२. Pr& GrenorreGAR GROO स्तवन ॥ १३ ॥ मुं ॥ श्री नेमिनाथ जीननु ॥ ॥ साधुजी समता आदरो ॥ ए देशी ॥ नेमिनाथजीनी जान नवी सांनळो, आवे परणवा ६ करी बहु गठ मेरे लाल हय गय रथ शणगारीया, पगपाळा , हलमल नाउ मेरे लाल ॥ नेमिनाथजीनी जान० ॥ ए आंकणी ॥ गाथा ॥ १ ॥ जादववंश सरवे सज थया, दीपे 9 वस्त्र आजुषण युक्त ॥ मे० ॥ बाळ तरुण वृद्ध आविया, लइ राजऋद्धि नली युक्त ॥ मेर० ॥ नेमि ॥ २ ॥ कृष्ण नरें गज उपरे, शोने जेम तारामां चंड ॥ मेरे० ॥ तेथी 6 अधिक शोन्ने नेमिजी, रथ बेग अधिक आणंद ॥ मेरे ॥ ॥नेमिः॥३॥मणी आदि जमित आनूषणो,राजे कोट केहेम कांहुं कान ॥ मेरे ॥ वस्त्र अमुलख अंगमां, शेलां मंमिल जामो जरियान ॥ मेरेः ॥ नेमि० ॥ ४ ॥ दीनकर मुख जो आवीयो, हुश्रा नेमि अधिक तेजवान ॥ मेरे ॥ मोती अमुलख घणां बांगले, चावे. बीहुं नागरवेल पान ॥ मेरे ॥ नेमि॥ ॥ ५ ॥ स्त्री वृंद उलटनरे, गावे मंगलिक गीत विनित ॥ मेरे ॥ मोहित शब्द तीहां वापरे, सुस्वर विकल रंगीत ॥ मेरे० ॥ नेमि० ॥ ६॥ वाजिंत्र वाजे अति घणां, मामा बंदुकी करे अवाज ॥ मेरे ॥ उंट घोमे नगारां गमगमे, दारुखानुं उमे रीझ काज ॥ मेरे० ॥ नेमि ॥७॥ अश्व अनेक खेलावता, गज चढी । महा ऋद्धिवंत ॥ मेरे०॥ १ केश्क रथमां वेशीया, पगपाळा अनेक न गणंत ॥ मेरे ॥ नेमिः ॥ ॥ पालखी मेना अति घणा, तेमां बेग के _ (२५७ ) MAMMAR ३२ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034802
Book TitleDharm Pravarttan Sara Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurchandbhai Swarupchand Shah
PublisherRatanchand Laghaji Shah
Publication Year1910
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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