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સ્તવન અધિકાર,
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धवी ललना, लालाहो देशविरति श्रावक श्राविकाय ॥ ए. ॥ १०॥ एम संघ चविध स्थापे मसिजी ललना, लाला-3 हो प्रथम स्थापे गणधरराय ॥ ए० ॥ द्वादशांगी सूत्र गगधर रचे ललना, लालाहो लब्धिये पूर्ण पद थाय ॥ एक ॥ ११ ॥ तीहां तीर्थ स्थापन थयुं ललना, लालाहो ए तीर्थ है पति मन्विनाथ ॥ ए॥ जिननाम कर्म उदय थयो ललना, सालाहो तेने खेरवे ए जगत्रनो नाथ ॥ ए० ॥ १२ ॥ अंते हैं करण सैलेशी करे ललना, लालाहो तीहां श्राय योगनो रोध ॥ ए० ॥ आव्या अयोगी गण चउदमे ललना, लालाहो तीहां टाल्यो अघातिनो विरोध ॥ ए० ॥ १३ ॥ शत्र समुदायनो क्ष्य थयो ललना, लालाहो त्यां नागी उदारिकादी हेम ॥ ए० ॥ परवत सम ढंकण हतुं ललना, लालाहो ते त्रुटी आज कार्मण तेम ॥ ए० ॥ १४ ॥ बोम्यु
शरीर तेना मानथी ललना, लालाहो घटे एक नाग अवहै गाह ॥ ए॥ निवम घन दोय नागे रच्यो ललना, लालाहो
ते कहीए अटळ अवगाह ॥ एक ॥ १५ ॥ एक समय सम
श्रेणीये ललना, लालाहो पोत्या सिद्ध लोकंत ॥ ए० ॥ १ सादि अनंत स्थिति तीहां लखना, लालाहो सिद्ध वधुनो प्यारो ए कंत ॥ ए ॥ १६ ॥ एम युद्ध अंतररूपे झूमशं ललना, लालाहो तीहां करशुं शत्रु विनाश ॥ ए० ॥ ए
शक्ति मखिजी मने आपजो ललना, लालाहो पूरजो ज्ञान ॐ शीतळनी आशा ॥ ए० ॥ १७ ॥
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