SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 251
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ RAGAR GROARROR GORAGAR ROVERGR IHARGEMERGma स्तवन अधि२. ११ मनुष्य जन्म लव सफळो कीजे, आदि जिणंद पाये पमी£ ये रे।जागोने मारा अंतर जामी०॥ ए आंकणी ॥ गाथा ॥ १ ॥१॥ जागोने चेतन जम वेहेचीने, निज स्वरूप निहा६ लोरे ॥ रत्न त्रयी चेतन गुण प्रगटे, समकित मूळ संना कोरे ॥ जा ॥२॥ जात्रा सफळ समकित गुण श्रादे, 6 संवर निर्जरा वाधे रे ॥ श्रद्धा नासन रमण उपयोगे, परमानंद पद साधेरे॥ जा० ॥ ३॥ सफळ जन्म शत्रुजय नेटये, निमित्त उपादान हेतु नेदे रे ॥त्यां विषय कषाय नव बीजक तजीए, नजीए श्री आदि जिणंद रे ॥ जागो ॥४॥ आदि जीणेसर मेरुदेवानंदन, नानीराया कुळचंद रे ॥ पूर्व नवाणुं वार शत्रुजय गीरि, समोसरीया जीनं रे ॥जागो हूँ ॥५॥ तीर्थपति गीरिराय सेवीने, सिद्धा साधु अनंत रे ॥ 3 ज्ञान शीतळ कहे तीरथ सेवो, गुण निष्पन्न महंत रे॥ ॥ जा० ॥६॥ ॥ स्तवना ॥ ४ धुं ॥ श्री गीरनारजीनु ॥ ॥ देशी ॥ उपर प्रमाणे बाळ बह्मचारी जिनंद पदधारी, सेवे सुरनर वरइंदारे ॥ गीरनार गीरि नेमि नाथजी विराजे, नेटतां टळे नव फंदारे ॥ बाळ बह्मचारी० ॥ ए आंकणी ॥ गाथा ॥१॥ 9 बाळ ब्रह्मचारी विषय निवारी, निःस्नेही गुण रायारे ॥ ६ सचित्त पुद्गल लोग कर्म क्षीण जाणी, लेवा संयम सहे सावन आयारे ॥ बाळ ॥२॥ जिणंद पदधारी राग द्वेष ६ , निवारी, घाति कर्म क्षयकारीरे ॥ सहसावन केवळनाण Verses GRAN GROGRAGGIRRIGIGAR GARG Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034802
Book TitleDharm Pravarttan Sara Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurchandbhai Swarupchand Shah
PublisherRatanchand Laghaji Shah
Publication Year1910
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy