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________________ SRAGRAGreenaward BiGrarG GRGAR GIRana PRERAGIRGAGARRIGARGANGA तवन मेधि२. सूत्रे पेहेले गणे, वीर प्रजुनुं वचनरे ॥ एक जाएयो तेणे @ सर्वे जाण्यु, निश्चे शुद्धातम धन्यरे ॥ ज्ञानम् ॥ ३॥ श्रा-१ त्म स्वरूप अजाण अनाणी, मिथ्यात्व अणालोग उदे वर्ते रे ॥ बाकी सर्व जाण थ बेठो, ते नहीं शानी महंतरे ॥ ज्ञा० ॥ ४ ॥ ए सूत्रे इत्यादिक जो जो, परखी ज्ञानी ग्रहजोरे ॥ अज्ञानी संगत डोमीने, चेतनराय संग नजोरे ॥शान० ॥५॥ व्यवहार नय नाणी दुन्नेदे, तेह स्वरूपने 8 नावूरे ॥ रमण उदयिक जम दृष्टिये जोतो, तजवो ते चित्त । लावुरे ॥ ज्ञा० ॥ ६ ॥ नय व्यवहार बीजो नेद जाणी, वस्तु स्वन्नावमां देखेरे ॥ उदयिक जावदृष्टि नहीं करता, 6 त्यां साधन शुद्ध लेखे रे ॥ ज्ञान० ॥ ७॥ निज उपयोगे १ परिक्षा कीजे, ज्ञानी संग करीजेरे ॥ अंतरदृष्टि अनुन्नवी नाणी, तेहy वचन सुणीजेर ॥ ज्ञान० ॥ ॥ ए नाणी संग क्षण नहीं तजवो, परमपूज्य चित्त नणवोरे ॥ श्रातम ऋद्धि अनंती देखामे, तीहां परमानंद वरवोरे॥ज्ञान ॥ ए ॥ परमानंद पद यात्म अन्नेदी, सहजानंद स्वन्नावरे ॥ तीहां मुक्ति ने चेतन तारी, कर्म रहित सद्नावे रे ॥ १ ॥ ज्ञा० ॥ १० ॥ ए साधन उपयोग नाणमां, रमतां सब्धि जागेरे ॥ ते कारण ज्ञान पूजी वंदी, ज्ञान शीतळ नाण मागेरे ॥ ज्ञान० ॥ ११॥ ॥ स्तवन ।। ३ जूं ॥ शत्रुजयतुं ॥ - सांनळजो मुनि संयम रागे ॥ ए देशी _____ जागोने मारा अंतर जामी, शत्रुजय गीरि चढिये रे॥ ६ weredressaloose Bre@roORaooooo Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034802
Book TitleDharm Pravarttan Sara Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurchandbhai Swarupchand Shah
PublisherRatanchand Laghaji Shah
Publication Year1910
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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