________________
RSoormarwBRamana
અધ્યાત્મ ચોવીશી.
RaviramGRAMMERS
१ शुद्ध परिणति पूरण थ३॥ म० ॥ थया वीतराग नावी ए
बुद्ध ॥ जी० ॥ ७ ॥ हादश गुणगणे चढया ॥ म० ॥त्रण 5 कर्मनो तीहां विनाश ॥ जी० ॥ अनंत चतुष्ट प्रगट थइ ,
॥ मन० ॥ कीधो अरिहंत पदमां वास ॥ जी० ॥ ॥ ई, चार अतिशय मूळथ। ॥ मन० ॥ गुणघाति खपे अगिार है
॥जी० ॥ जंगणीस देवकृत संपजे ॥ म० ॥ ए चउतीस & अतिशय सार ॥ जी० ॥ ५ ॥ पांत्रीस वाणी गुणे जर्या 3
॥ मन ॥ वळी नाग दोष अढार ॥ जी० ॥ बार गुणे & विराजता ॥ मन० ॥ बजे प्रातिहार्य आठ सार॥ जी० ॥
१०॥ अणहुता सुर कोमीशुं ॥ मन० ॥ सदा सेवे पूरण : नाण ॥ जी० ॥ जीन नाम कर्म उदय हुश्रो ॥ मनः ॥ तेने खेरवे ए वचन प्रमाण ॥ जी० ॥ ११ ॥ क्षत्रिय कुंभ पुरे जनमिया ॥ म० ॥ राय सिद्धारथ कुळ चंद ॥ जी०॥ त्रिसलानंदन गुण नीलो ॥ म० ॥ सेवे संघ समुदाय वृंद
॥ जी० ॥ १५ ॥ कंचन वरणे दीपतो ॥ म ॥ उंचा सप्त १ हाथ प्रमाण ॥ जी० ॥ बोतेर वर्षतुं श्रावखुं ॥ म०॥ सं.
बण सिंह गुण मणिखाण ॥ जी० ॥ १३ ॥ सिंहपेरे धीर एकला ॥ म० ॥ करे शत्रु विनाश ॥ जी० ॥ तुज गुण को न गणी शके ॥ म० ॥ तुं पूज्य हुं बुं तुज दास ॥ जी० ॥
१४ ॥ अंतरदृष्टियें प्रीतमी ॥ म०॥ कीधी जगगुरु तुजशें ६ अन्नंग ॥ जी० ॥ ज्ञान शीतळ रोके तुजशुं ॥ म०॥बीजो 9 न गमे अन्यनो संग ॥ जी० ॥ १५ ॥ संपूर्ण.
GRGAGRare BIRGAONGRGAGAR
Farmersonal
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com