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श्री धर्म प्रवर्तन सा२. उपजे , ते बेना प्रत्येके पांच पांच नेद कहे . थळचर, जळचर, खेचर, जरपरि अने जुजपरि ए पांच दु दश नेद थया, तेना प्रत्येके वे वेनेद, पर्याप्ताअने अपर्याप्ता गणतां तिर्यंच पंचेंजिना वीश नेद थया. तेमां चौरिंडि सुधीना
अट्ठावीश नेद मेळवीए त्यारे तिर्यंचनी जातिना अमता। लीस नेद थाय ते कह्या. । हवे नारकीना सात नेद कहे . [१] धमा, [२] वंशा, [३] सेला, [] अंजण, [५] रिठ्ठा, [६] मघा, [२] 6 माघवती ए सात वेदना प्रत्येके बवे नेद एक पर्याप्ता अने बीजा अपर्याप्ता. एम चौद नेद नारकीना थया.
हवे देवगतिना नेद कहे . जुवनपति, व्यंतर, ज्योतिषि अने वैमानिक, तेमां जुवनपतिना पचीस नेद , दश निकायना दश अने परमाधामी पंदर मळी पचीश नंद थया. हवे व्यंतर निकायना नेद कहे . तेमां व्यंतर तथा वाण व्यतरना सोळ नेद अने तिर्यग् जूनकना दश नेद मळीने वीस नेद थया. हवे ज्योतिषीना नेद कहे
जे. तेना मूळ वे नेद एक स्थिर अने वीजा अथिर एवेना । प्रत्येके पांच पांच नेदडे, चंड, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र, अने तारा,
ए पांच दु दश ज्योतिषीना थया. हवे वैमानिकना नेद 9) कहे . तेमां किल विषियाना त्रण नेद. लोकांतिकना नव
नेद, अने बार देवलोकना बार नेद, ए चोवीस नेद कॐ स्पवासी देवना कह्या. हवे अकल्पवासी देवना नेद कहे ,
ले. नववेयकना नव नेद अने अनुत्तर विमानना पांच PARED BABIED
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