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________________ તેને સાર, PROPRABORAGMCAREERINGreGore, ) पापोदय तीहां पंचमी नहिरे ॥ पंचमी कही पून्या विचार लाल ॥ पापोदय० ॥ ११ ॥ बीजु संघयण ऊदयथकीरे ॥ हाम संघी द्रढ बंधाय लाल ॥ मर्कट बंध दोय पासथी रे । हाम पाटो उपर विंटाय लाल ॥ पापोदयः ॥ १२ ॥ संघयण नाराच उदय त्रीजुरे ॥ मर्कट बंध दोय पासे लाल ॥अर्ध नाराच चोथु कयु रे ॥ मर्कट एक एक खीली खासे लाल ॥ पापो० ॥ १३ ॥ संघयण किलीका उदयथकी रे॥ हाम आंकमे आंकम बंधी लाल ॥ वतुं उदय हुं कछुरे ॥ अणिए अणी संबंधी लाल ॥ पापोदय० ॥१४॥बीजां संस्थान उदयथकी रे॥ नानि उपर ल. कणोपेत लाला नीचं हेवळ अंगहीनतारे॥ए न्यग्रोधमंमळ खेत लाल ॥ पापोदय० ॥ १५ ॥ सादी संस्थान उदय त्रीजुरे ॥ नान्नि नीचे लक्षणोपेत लाल ॥ नानि उपर अंग हीनतारे ॥ यु पुर्व कमाणि संकेतलाल ॥ पापोदय० ॥ १६ ६॥ कुब्ज संस्थान उदय चोथुरे ॥ उत्तम हाथपग मूख ग्री१ वालाल ॥ अधम पेट हृदयने पुंठतारे ॥ सो न लहो फरी फरी वा लाल ॥ पापोदयः ॥ १७॥ वामन संस्थान उदय थकीरे ॥ बे हाथने पग बे हीन लाल ॥ बाकी उत्तम सवे @ अंगडे रे ॥ ते वामन कहे देव जीन लाल ॥ पापोदयः ॥ १ १७ ॥ हुंग संस्थान उदय ब्लु रे ॥ सवे अंग अवयव ही , न लाल ॥ उत्तम लक्षण एके नही रे ॥ अंग आकार विशेष ३ खीन लाल ॥ पापोदय० ॥ १५ ॥ मनुष्य तीर्यच गर्नज ६ मारे ॥ षट संस्थान ग्रंथे नाख्यां लाल ॥ समचौरंस एक ६ ാം മംഗളം രാഷ്ട്രം Pror@greeMardGARGreeramBhar (१९०) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034802
Book TitleDharm Pravarttan Sara Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurchandbhai Swarupchand Shah
PublisherRatanchand Laghaji Shah
Publication Year1910
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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