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श्री धर्म प्रवर्तन सार. ११ अबत ॥ ७ ॥ ढाल बारमी संपूर्ण ॥ .. ॥ ढाल तेरमी ॥ देशी चंडावळानी ॥
___ कषायनी पहेली है चोकीरे ॥ अनंतानुबंधी ए दुष्ट ॥ जाव जिव लगे रहेरे॥
क्रोध पथ्थर फाट पुष्ट ॥ त्रुटक० ॥ क्रोध पथ्थर फाट पुष्ट 3 है अमी लावो ॥ मान पथ्थर थन नमे न नमाग्यो ॥ वांस
मूळ वांकां तेसी माया ॥ कीरमज रंग ज्युं लोन कहाया॥ समकित घाति ए मोह ॥१॥ कषायनी बीजी चोकमारे ॥ अप्रत्याख्यानीए बळे ॥ बार मास लगे रहेरे ॥ क्रोध जमी फाट मले ॥ ७० ॥ क्रोध जमी फाट मले मेघ वरटू से ॥ मान अस्थि यंन म्ट नही नमसे ॥ शींग घेटानां १ वांकां तेसी भाया ॥ करदम रंग ज्युं लोन कहाया ॥ देश विरति घाति ए मोह ॥२॥ कषाय प्रत्याख्यानी चोकमी रे ॥ त्रीजी ग्रंथे कहाय ॥ चार मास लगे रहेरे ॥ क्रोध वेळु लीक पूराय ॥ त्रु० ॥ क्रोध वेळु लीक पुराय वायु
आपे ॥ मान काष्ट थंन वळे तेल तापे ॥ गौमुत्रीका वांकी है तेसी माया ॥ लोन गामी उजण मली माग थाया ॥ सर्व
विरती घातीए मोह ॥३॥ कषायनी चोथी चोकमीरे ॥ 3 संज्वलनी ते कहाय ॥ पंच दश दीन ए रहेरे ॥ क्रोध जळ लीक ज्यु थाय ॥४०॥ क्रोध जळ लीक ज्युं थाय अळप॥नेत्र थंन्न नमे ज्यु मान बोमेटप॥ वांस बोती वाकी तेसी माया॥
हलदी रंग ज्यु लोन कहाया ॥ यथाख्यात घातिए ६) मोह ॥४॥ कषायनी चउ चोकमारे ॥सोळ नेद विस्तार॥ है अष्टांत साथे वर्णवीरे ॥ स्थिती कही प्राश्कघार ॥२॥ १
(१४५) PRACTOBEResorrore.
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