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________________ Goreove PROGRAMSARANTERASANSAR त्रुटक ॥ वर्गण चौ चौ सोय ते श्राव ॥ उदारीक पहेली ६ सो ग ॥ बीजी वैक्रीय ते कहीये ॥त्रीजी अहारक ते १ सहीए ॥ सुणो० ॥ ३ ॥ काय जोग बंध एहथीरे ॥ जिव करे सही दार्खा ॥ मनुष्य तिर्यंच गति प्रतेरे ॥ काया उ दारीक नाखुं ॥ त्रु० ॥ काया उदारीक नाघु एह ॥ देव नर्क वैक्रीय तेह ॥ चौद पूर्वी आहारक करे ॥ तिहां प्रमाद गुणगणुं रे ॥ सुणो० ॥ ४ ॥ तेजस वर्गणा चोथी कही रे ॥ पाचन अग्नि ते एह ॥ नाषा वर्गणा पांचमीरे ॥6 वचन जोग सो तेह ॥ ७० ॥ वचन जोगसो तेहज कहीए। ॥ स्वासौ सास ते ही सहीए ॥ मनोवर्गणा सातमी दाखी ॥ ते मन जोग घटमां राखी ॥ सुणो० ॥५॥ वर्गणा कार्मण पाठमोरे ॥ कर्म पाठ मुल एह ॥ ज्ञानावर्णादी बंध एरे ॥ सत्ता उदीयादी तेह ॥ त्रु० ॥ सत्ता उदी यादी तेह उत्तरमां ॥ एक सत ने वीस डे बंधमां ॥ १ उदय उदीरणामां एक सत बावी ॥ सत्ता अट्ठावन एक सत नावी ॥ सुणो० ॥ ६॥ प्रथमनी चउ वर्गणारे ॥ १ बादर कही जिनराय ॥ बादरमा गुण वीस रे ॥ वर्ण पंच रस पंच गाय ॥ ७० ॥ वर्ण पंच रस पंच गाय ग्रंथे॥ दोय गंध कह्या ग्रंथ पंथे ॥ फर्स आठ सुण्या गुरु मुखे ॥ १ ए वीस गुण जाण्या सुखे सुखे ॥ सुणो० ॥ ॥ पाळनी ६ च वर्गणारे ॥ सुक्षम तेह कहाय ॥ सोळ गुण ने एहमां १ रे ॥ हीण फर्स चउ थाय ॥ त्रु० ॥ हीण फर्स चल थाय यथारथ ॥ वर्गणा संबंध को गीतारथ ॥ वर्गणानो , singnoresress.org POSBARAMA Morangroversiagra Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034802
Book TitleDharm Pravarttan Sara Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurchandbhai Swarupchand Shah
PublisherRatanchand Laghaji Shah
Publication Year1910
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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